राम जेठमलानी जीवनी हिंदी में – Ram Jethmalani jeevni , biography in Hindi
जन्म – 14 सितंबर 1923 , शिकारपुर ,सिंध ,(वर्तमान पाकिस्तान में )
मृत्यु – 8 सितंबर 2019
कार्यक्षेत्र – कानूनविद , राजनीतिज्ञ, पूर्व केंद्रीय मंत्री
राम भूलचंद जेठमलानी एक जाने माने राजनीतिज्ञ और प्रसिध्द भारतीय वकील थे ।वे बार कौंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और पूर्व कानून मंत्री रह चुके थे । विवादास्पद मामलों के मुकदमें की पैरवी करने और उच्च प्रोफ़ाइल के कारण अपने वकालत कैरियर के समय कई बार राम जेठमलानी को कड़ी आलोचना का सामना भी करना पड़ा था ।ऐसा माना जाता है। कि वे कुछ मामलों पर निशुल्क पैरवी करते थे और कुछ मामलों में भारतीय उच्चतम न्यायालय के सबसे महंगे वकीलों में से एक रहे ।
अपने जीवन शैली के कारण और मुकदमों के साथ साथ वक्तव्यों के कारण भी कई बार सुर्खियों में रहते थे।उन्होंने कानून की डिग्री मात्र 17 साल की उम्र में प्राप्त कर ली । और अगले वर्ष अठारह साल की उम्र में प्रैक्टिस के लिए जाने लगे ।(हालांकि उस समय वकालत की प्रैक्टिस करने के लिए इक्कीस साल अनिवार्य थे । लेकिन 18 साल के जेठमलानी के लिए एक विशेष प्रस्ताव पास करके प्रैक्टिस करने की इजाज़त दे दी गई ।)
राम जेठमलानी भारत के राज्यसभा और लोकसभा के मेंबर रह चुके हैं और अटल बिहारी वाजपई की सरकार के समय शहरी विकास मंत्री और कानून मंत्री भी रह चुके हैं।
प्रारंभिक जीवन
14 सितंबर 1923 को राम जेठमलानी का जन्म सिंध के शिकारपुर (वर्तमान पाकिस्तान ) में हुआ । उनके फादर का नाम भुलचंद गुरूमुखदास जेठमलानी और मदर का नाम पार्वती भूलचंद था ।राम जेठमलानी की बाल शिक्षा स्थानीय स्कूल में हुई ।अपनी होशियारी और बुद्धि के कारण उन्हें दो बार नियमित क्लास से अगली क्लास में प्रोन्नत किया गया जिसके चलते मात्र तेरह साल की आयु में राम जेठमलानी ने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण कर ली ।
कराची के एस सी साहनी लॉ कॉलेज से एलएलबी की डिग्री 17 साल की उम्र में प्राप्त करके अगले साल प्रैक्टिस में उतरे लेकिन सरकार द्वारा निर्धारित प्रैक्टिस करने के लिए 21 साल की उम्र निर्धारित थी लेकिन 18 साल के जेठमलानी के लिए विशेष छूट देकर प्रैक्टिस करने की अनुमति दी गई ।उसके पश्चात उन्होंने एलएलएम की डिग्री प्राप्त की ।
राम जेठमलानी की शादी 18 साल की उम्र में दुर्गा से कर दी गई ।ठीक 1947 के देश विभाजन से कुछ समय पहले उन्होंने रत्न साहनी जो पेशे से वकील थी उनसे भी शादी रचाई ।दोनों पत्नियों के चार बच्चे हुए – शोभा , जनक,रानी,महेश।
करियर
करियर की शुरुआत राम जेठमलानी ने सिंध में एक प्रोफ़ेसर के तौर पर की ।उन्होंने अपने मित्र ए के ब्रोही (जो पाकिस्तान के कानून मंत्री बने ) के साथ मिलकर एक लॉ फर्म की स्थापना कराची में की । कराची में विभाजन के बाद जब 1948 में दंगे भड़के तो ब्रोहि ने ही उन्हें पाकिस्तान छोड़कर भारत लौटने की सलाह दी ।
उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज में 1953 में अध्यापन कार्य शुरू कर दिया ।यहां के छात्रों को स्नातक व स्नातकोत्तर के स्तर पर पढ़ाने लगे । उन्होंने वायने स्टेट यूनिवर्सिटी (अमेरिका के डेट्रॉयट) में इंटरनेशनल लॉ भी पढ़ाया।
बे के एम नानावती और महाराष्ट्र राज्य के चर्चित मुकदमें के दौरान सन् 1959 में चर्चा में आए। जस्टिस यशवंत विष्णु चंद्रचूड़ (जो भारतीय सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रहे )भी इस मुकदमें में उनके साथ थे ।
तस्करों के बचाव में राम जेठमलानी 1960 के दशक में अदालत में उनके साथ खड़े दिखाई दिए इसके बाद “तस्करों के वकील” लोगों के द्वारा कहां जाना लगा ।उन्होंने बिना परवाह किए आलोचकों के लिए कहा कि मैं तो सिर्फ एक वकील का फ़र्ज़ अदा कर रहा हूं ।वे “बार काउंसिल ऑफ इंडिया “ के चार बार अध्यक्ष रह चुके हैं।वे इंटरनेशनल बार काउंसिल के भी सदस्य रह चुके हैं।
राजनीतिक करियर
उल्लास नगर क्षेत्र से पहली बार 1971 में लोकसभा चुनाव के लिए लड़े ,लेकिन सफलता नहीं मिली ।1975-77 )देश में आपातकाल के समय राम जेठमलानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष थे ।उस दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री की कड़ी आलोचना करने पर उनके खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी हुआ जिसके परिणास्वरूप उन्हें देश छोड़कर कनाडा जाना पड़ा ।बाद में आपातकाल ख़तम होने पर वापिस लौट आए।
1977 के लोकसभा चुनाव में आपातकाल के बाद, पहली बार एच आर गोखले को बॉम्बे लोकसभा क्षेत्र से असफल करके लोकसभा में प्रवेश किया ।परंतु इस बार भी कानून मंत्री नहीं बन पाए । क्योंकि उनकी जीवन शैली से मोरारजी देसाई खुश नहीं थे ।इसके पश्चात एक मर्तबा 1980 में फिर लोकसभा चुनाव जीता ।सुनील दत्त के विरुद्ध 1985 चुनाव में हार गए ।
राज्य सभा के लिए 1988 में चुना गया और वाजपेई सरकार में 1996 में न्याय और कंपनी मामलों व कानून मंत्री के पद को संभाला ।एक बार फिर 1999 में कानून मंत्री बनाया गया ।लेकिन तत्कालीन न्यायधीश ए एस आंनद (सर्वोच्च न्यायालय न्यायाधीश ) पर उनके दिए गए विवादास्पद टिप्पणी करने पर अटल जी ने उन्हें अपनी सरकार से मंत्री पद छोड़ने को कहा।
एक बार फिर लोकसभा चुनाव के लिए लखनऊ में अटल बिहारी वाजपई के विरुद्ध खड़े होकर करारी हार का सामना करना पड़ा।
भारतीय जनता पार्टी ने राजस्थान से उन्हें 2010 में एक बार फिर राज्य सभा का सदस्य बनाया । “भारतीय जनता पार्टी “ के नेताओं पर (2012 ) में यूपीए सरकार के दौरान हुए घोटाले पर चुप्पी साधने का उलाहना देते हुए तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष नितिन गड़करी को पत्र लिखा जिसके पश्चात 6 साल के लिए मई 2013 में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया गया ।

निधन
8 सितंबर 2019 को उनके खराब स्वास्थ्य के चलते नई दिल्ली में उनके घर पर उनका निधन हुआ ।उनके बेटे महेश के अनुसार वे कुछ दिन ,महीनों से ठीक नहीं थे ।
राम जेठमलानी की वीडियो बायोग्राफी देखने के लिए क्लिक करें ।
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